Vaisakha Shukla Ashtami (वैशाख शुक्ल अष्टमी)


वैशाख शुक्लपाक्षिक पंचांग : वैशाख शुक्ल पक्ष की विशेष जानकारी

'वेबदुनिया' के पाठकों के लिए 'पाक्षिक पंचाग' श्रृंखला में प्रस्तुत है वैशाख माह के शुक्ल पक्ष का पाक्षिक पंचांग-
 
संवत्सर- विरोधकृत।
संवत्- 2075।
शक संवत्- 1940।
माह- वैशाख।
पक्ष- शुक्ल पक्ष।
ऋतु- वसंत-ग्रीष्म।
रवि- उत्तरायण।
गुरु तारा- उदित स्वरूप।
शुक्र तारा- उदित स्वरूप।
सर्वार्थ सिद्धि योग- 17 अप्रैल, 23 अप्रैल।
अमृतसिद्धि योग- अनुपस्थित।
द्विपुष्कर योग- अनुपस्थित।
त्रिपुष्कर योग- 17 अप्रैल, 22 अप्रैल।
रविपुष्य योग- 22 अप्रैल।
गुरुपुष्य योग- अनुपस्थित।
एकादशी- 26 अप्रैल (मोहिनी एकादशी व्रत)।
प्रदोष- 27 अप्रैल।
भद्रा- 19 अप्रैल (उदय अस्त), 22 अप्रैल (उदय अस्त), 25 अप्रैल (उदय) - 26 अप्रैल (अस्त), 29 अप्रैल (उदय/अस्त)।
पंचक- अनुपस्थित।
ग्रहाचार : सूर्य मेष राशि में, चन्द्र (सवा दो दिन में राशि परिवर्तन करते हैं), मंगल-धनु, बुध-मीन, गुरु-तुला, शुक्र-मेष, शनि-धनु, राहु-कर्क, केतु-मकर।
व्रत/त्योहार- 18 अप्रैल अक्षय तृतीया (अखातीज) व परशुराम जयंती, 20 अप्रैल सूरदास जयंती, 23 अप्रैल देवी बगलामुखी जयंती, 24 अप्रैल जानकी नवमी, 30 अप्रैल बुद्ध पूर्णिमा।

पक्ष- शुक्ल पक्ष अष्टमी

वैशाख शुक्ल अष्टमी भारतीय पंचांग [1] के अनुसार द्वितीय माह की आठवी तिथि है, वर्षान्त में अभी ३२२ तिथियाँ अवशिष्ट हैं।

वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर हिंदू धर्म के सबसे बड़े गुरु आदि शंकराचार्यजी का जन्म हुआ था। गंगा सप्तमी 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान और पूजा का विशेष महत्व है। भगवान चित्रगुप्त का प्रकाट्योत्सव वैशाख शुक्लपक्ष की सप्तमी के दिन ही मनाया जाता है।

वैशाख शुक्ल प्रतिपदा

वैशाख माह, भगवान विष्णु का पसंदीदा माह है, यह सभी महीनों में सबसे महत्वपूर्ण और सबसे पवित्र महीना माना जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह को 15-15 दिनों में शुक्ल और कृष्ण पक्ष में बांटा गया है। इस समय वैशाख माह चल रहा है और 24 अप्रैल से वैशाख माह के शुक्ल पक्ष का पहला दिन होगा। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, जिसमें अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती, मोहिनी एकादशी और वैशाख पूर्णिमा आदि प्रमुख है। वैशाख माह में गर्मी बढ़ने लगती है ऐसे में इस पक्ष में स्नान और दान का महत्व काफी बढ़ जाता है। वैशाख शुक्ल पक्ष 24 अप्रैल से 7 मई तक रहेगा। आइए जानते हैं इस पक्ष के प्रमुख व्रत-त्योहार...

वैशाख शुक्लपक्ष के व्रत-त्योहार

अक्षय तृतीया- 26 अप्रैल, रविवार
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में अक्षय तृतीया एक प्रमुख त्योहार  है। अक्षय तृतीया एक अबूझ मुहूर्त है। इसमें सभी तरह के शुभ कार्य बिना पंचांग देखे ही किए जा सकते हैं। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान परशुराम की जयंती भी है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों उच्च राशि में आ जाते हैं।

शंकराचार्य जयंती- 28 अप्रैल, मंगलवार
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर हिंदू धर्म के सबसे बड़े गुरु आदि शंकराचार्यजी का जन्म हुआ था। 

गंगा सप्तमी- 30 अप्रैल, गुरुवार
गंगा सप्तमी 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान और पूजा का विशेष महत्व है। भगवान चित्रगुप्त का प्रकाट्योत्सव वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन ही मनाया जाता है।

वैशाख अष्टमी- 1 मई, शुक्रवार
अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की विशेष रुप से पूजा की जाती है। अष्टमी तिथि पर मां दुर्गा की पूजा करने से दुश्मनों पर विजय की प्राप्ति होती है।

सीता नवमी- 2 मई, शनिवार
सीता नवमी का त्योहार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन जानकी जयंती के रूप में मनाई जाती है। इस दिन पृथ्वी की कोख से राजा दशरथ को माता सीता के रूप में पुत्री की प्राप्ति हुई थी। सीता नवमी का त्योहार बिहार और नेपाल के कुछ हिस्सों में विशेष रूप से मनाई जाती है।

मोहिनी एकादशी- 3 मई, रविवार
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना गया है। 03 मई को वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाई जाएगी। इस व्रत करने से पितरों को तृप्ति मिलती है। एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।

प्रदोष व्रत- 5 मई
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। मंगलवार, 05 मई को यह प्रदोष व्रत, भौम प्रदोष का संयोग बन रहा है। 

नृसिंह जयंती- 6 मई, बुधवार 
वैशाख माह के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था। इसी तिथि पर उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध किया। इस दिन को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।

वैशाख पूर्णिमा- 7 मई, गुरुवार
वैशाख माह की पूर्णिमा गुरुवार, 7 मई को मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व होता है।

तिथियाँ

हिन्दू काल गणना के अनुसार मास में ३० तिथियाँ होतीं हैं, जो दो पक्षों में बंटीं होती हैं। चन्द्र मास एक अमावस्या के अन्त से शुरु होकर दूसरे अमा वस्या के अन्त तक रहता है। अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्र का भौगांश बराबर होता है। इन दोनों ग्रहों के भोंगाश में अन्तर का बढना ही तिथि को जन्म देता है। तिथि की गणना निम्न प्रकार से की जाती है। तिथि .

हिन्दू पंचांग

हिन्दू पञ्चाङ्ग से आशय उन सभी प्रकार के पञ्चाङ्गों से है जो परम्परागत रूप प्राचीन काल से भारत में प्रयुक्त होते आ रहे हैं। ये चान्द्रसौर प्रकृति के होते हैं। सभी हिन्दू पञ्चाङ्ग, कालगणना की समान संकल्पनाओं और विधियों पर आधारित होते हैं किन्तु मासों के नाम, वर्ष का आरम्भ (वर्षप्रतिपदा) आदि की दृष्टि से अलग होते हैं। भारत में प्रयुक्त होने वाले प्रमुख क्षेत्रीय पञ्चाङ्ग ये हैं-.

हिन्दू काल गणना

हिन्दू समय मापन, लघुगणकीय पैमाने पर प्राचीन हिन्दू खगोलीय और पौराणिक पाठ्यों में वर्णित समय चक्र आश्चर्यजनक रूप से एक समान हैं। प्राचीन भारतीय भार और मापन पद्धतियां, अभी भी प्रयोग में हैं (मुख्यतः हिन्दू और जैन धर्म के धार्मिक उद्देश्यों में)। यह सभी सुरत शब्द योग में भी पढ़ाई जातीं हैं। इसके साथ साथ ही हिन्दू ग्रन्थों मॆं लम्बाई, भार, क्षेत्रफ़ल मापन की भी इकाइयाँ परिमाण सहित उल्लेखित हैं। हिन्दू ब्रह्माण्डीय समय चक्र सूर्य सिद्धांत के पहले अध्याय के श्लोक 11–23 में आते हैं.

विक्रम संवत

विक्रम संवत हिन्दू पंचांग में समय गणना की प्रणाली का नाम है। यह संवत 57 ई.पू.


आम तौर पर वैशाख का महीना अप्रैल मई में शुरू होता है. विशाखा नक्षत्र से सम्बन्ध होने के कारण इसको वैशाख कहा जाता है. इस महीने में धन प्राप्ति और पुण्य प्राप्ति के तमाम अवसर आते हैं. मुख्य रूप से इस महीने में भगवान विष्णु , परशुराम और देवी की उपासना की जाती है. वर्ष में केवल एक बार श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी इसी महीने में होते हैं. इस महीने में गंगा या सरोवर स्नान का विशेष महत्व है. आम तौर पर इसी समय से लोक जीवन में मंगल कार्य शुरू होते हैं. इस बार वैशाख का महीना 20 अप्रैल से 18 मई तक रहेगा.

वैशाख में दान करने का महत्व-

वैशाख को फल प्राप्ति का महीना कहा जाता है. वैशाख के महीने में दान करने का अधिक महत्व होता है. कहा जाता है कि इस महीने दान करने से गरीबी दूर होती है. इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए. मान्यता है कि वैशाख के महीने में पूजा आराधना कर के जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है.

वैशाख महीने के मुख्य व्रत और त्यौहार कौन कौन से हैं?

- इस महीने में शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा उपासना की जाती है.

- इसी महीने में भगवान बुद्ध और परशुराम का जन्म भी हुआ था.

- इस महीने में भगवान ब्रह्मा ने तिलों का निर्माण किया था अतः तिलों का विशेष प्रयोग भी होता है.

- इसी महीने में धन और संपत्ति प्राप्ति का महापर्व अक्षय तृतीया भी आता है.

इसी महीने में मोहिनी एकादशी आती है जो श्री हरी की विशेष कृपा दिल सकती है.

वैशाख महीने में खान पान का क्या ख्याल रखें?

- इस महीने में गरमी की मात्रा लगातार तीव्र होती जाती है.

- अतः तमाम तरह की संचारी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

- इस महीने में जल का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए और तेल वाली चीज़े कम से कम खानी चाहिए.

- जहां तक संभव हो सत्तू और रसदार फलों का प्रयोग करना चाहिए.

- और देर तक सोने से भी बचना चाहिए.


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